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चमत्कारी पेड़, जिसका तंत्र विद्या में होता है उपयोग, एमपी में हैं केवल दो पेड़
सफेद फलाश को दुर्लभ माना जाता है, इसके कम पेड़ ही देखने को मिलते हैं, जानकार कहते हैं कि इसके मध्यप्रदेश में केवल दो पेड़ हैं

जबलपुर। सफेद पलाश को चमत्कारी पेड़ माना जाता है। यह पेड़ दुर्लभ प्रजाति का है। जानकारों की मानें तो इसके केवल दो पेड़ ही पूरे मध्यप्रदेश में हैं। इस पेड़ के विभिन्न हिस्सों का उपयोग तंत्र क्रियाओं में किया जाता है। इसका एक पेड़ मंडला जिले के सकरी गांव में पाया गया है। शासन ने इसे संरक्षित तो कर दिया है, लेकिन गाहे-बगाहे इसकी जड़ें और फूल चोरी हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि तंत्र-मंत्र के लिए इस पेड़ की जड़ों को खोदा जाता है।
मंडला शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर जंगलों के बीच बसे सकरी गांव में दुर्लभ प्रजाति का सफेद पलाश का पेड़ है। ग्रामीणों का कहना है कि यह पेड़ करीब ढाई सौ साल पुराना है। इसके फूल और जड़ें औषधीय काम में आते हैं। एकलौता पेड़ होने के कारण ग्रामीण खुद ही इसे संरक्षित करते हैं। हालाकि शासन ने यहां संरक्षित प्रजाति होने का बोर्ड भी लगाया है।
तंत्र क्रियाओं में जड़ और फूल
पेड़ को संरक्षित कर रहे भवेदी परिवार ने बताया कि जड़ो का उपयोग आदिवासी आम तौर पर तांत्रिक क्रियाओं में करते हैं। कई बार रात में इस पेड़ की जड़ों को खोदा जा चुका है। लोग इसके फूल भी ले जाते हैं। सम्मोहन व गोंड़ी तांत्रिक क्रियायों में इसकी जड़ों का उपयोग किया जाता है। सुरक्षा नहीं होने के कारण इस पेड़ के अस्तित्व पर संकट छाया हुआ है।
दुर्लभ प्रजाति का पेड़
इतिहासकार गिरजा शंकर अग्रवाल बताते हैं कि सफेद पलाश का पेड़ दुर्लभ माना जाता है। प्रदेश में केवल दो पेड़ हैं। एक पेड़ मंडला के सकरी गांव में है। यह काफी पुराना पेड़ है। जो संरक्षण के अभाव में असुरक्षित है।
ऐसे हो रही सुरक्षा
जिस खेत में यह पेड़ लगा है उसके मालिक ने यहां एक चबूतरा बनवा दिया है। पेड़ के नीचे शिवलिंग रखा गया है, जिसकी ग्रामीण पूजा करते हैं। ग्रामीणों ने बताया देव स्थान होने के कारण पेड़ सुरक्षित है। फिर भी गाहे-बगाहे चोरों की नजर इस दुर्लभ पेड़ पर रहती है